Ad

Tractor Mounted Machine

ट्रैक्टर(Tractor) किसान का साथी

ट्रैक्टर(Tractor) किसान का साथी

ट्रैक्टर(Tractor) और किसान एक दूसरे के साथी हैं या आप कह सकते है की किसान बिना ट्रेक्टर(Tractor) के अधूरा ही होता है.पुराने समय में लोग हल बैल से खेती करते थे तो सारी जमीं में बुआई नहीं कर पाते थे जिससे की जमीं पड़ी रह जाती थी और उसकी वजह से हम अपने खाद्यान्य के लिए दूसरे देशों पर निर्भर रहते थे. पहले हालत ये थे की एक जोड़ी ( दो बैल ) बैल रखना ही हो पाता था और जिस किसान के पास तीन से चार जोड़ी बैल होते थे वो आज के किसी 70HP ट्रेक्टर से कम नहीं माने जाते थे यानि जिस किसान के पास एक से अधिक बैलों की जोड़ी होती थी वो जमींदार होते थे, पैसे वाले और उन्नत किसानों में उनकी गिनती होती थी. फसल के उत्पादन का आलम ये था की अगर किसी की 100 मन ( 40 कुंतल) पैदावार हो जाये तो लोगों में उसका अलग ही सम्मान होता था. बोलते थे " देखो उसका सेकरा पूज गया" यानि उसके पास 100 मन अनाज हो गया.धीरे धीरे समय बदला और आज 100 मन गेंहूं 10 बीघे ( छोटा बीघा) खेत में ही हो जाते हैं और आज हल बैलों की जगह ट्रैक्टर(Tractor) ने लेली और बड़े से बड़ा काम एक अकेला आदमी करने लगा.

ट्रैक्टर(Tractor) का काम:

आज ये कहना की ट्रैक्टर का क्या काम है तो बहुत ही अलग हो जायेगा, आज हम ये कह सकते हैं की क्या काम नहीं कर सकता. आज हर छोटे या बड़े किसान की जरूरत है एक
ट्रेक्टर(Tractor) के आने से किसान अब सारी जमीन पर खेती करने लगा है और अब तो जो ग्राम समाज की जमीन पर भी कब्ज़ा करके उसमे भी खेती करने लगा है. कई ऐसे किसान होते है जिन पर हकीकत में जमीन न के बराबर होती है और वैसे उनके पास ग्राम समाज की बहुत जमीन होती है. ट्रैक्टर(Tractor) से आप जुताई , बबाई, पानी , नराई, फसल काटना ,भूसा बनाने से लेकर खेत को समतल करना , मेढ़बंदी करना यानि आप जो सोच सकते है वो काम आप ट्रेक्टर से ले सकते है.

किस किसान के लिए कौन सा ट्रेक्टर(Tractor) :

वैसे तो आजकल 35HP से कम का ट्रैक्टर कोई किसान लेना पसंद नहीं करता लेकिन ट्रेक्टर का चुनाव कई बातों को देख कर करना चाहिए, जैसे: जमीन की मिट्टी, फसल , और कितनी जमीन पर काम करना है.मसलन आपके पास 100 बीघा जमीं है तो आपको 35HP से 45HP का ट्रेक्टर काम दे देगा. और आपको पानी भी अपने ट्रैक्टर से निकालना है तो आप 20HP से 25HP तक भी जा सकते हो इसमें आपको ज्यादा खर्चा नहीं पड़ेगा. अगर आपके पास जमीन भी ज्यादा है और आप काम भी उससे ज्यादा लेना चाहते है तो आपको 50HP से 60HP का ट्रेक्टर लेना होगा जिससे आप कटर, रीपर , रोटाबेटर , और कंप्यूटर मांझा चला सकते हो अगर आप इससे ऊपर भी जाना चाहते हो तो आप कंबाइन और JCB चलना चाहते हो तो आपको 60HP के ऊपर का ट्रेक्टर चाहिए होगा. जितने बड़ा हॉर्स पावर उतना ही ज्यादा डीज़ल का खर्चा. मेरा अपना मानना है की अगर आपका ज्यादा बड़ा काम नहीं है तो आप 35HP से 50HP का ट्रैक्टर(Tractor) ले सकते है और अपने सारे छोटे बड़े काम कर सकते हैं. ये भी पढ़े: ट्रैक्टर Tractor खरीदने पर मिलेगी 50 फीसदी सब्सिडी(subsidy), ऐसे उठा सकते हैं इस योजना का लाभ

ट्रेक्टर(Tractor) कैसे लें:

Tractor ट्रैक्टर आप दो तरह से ले सकते है, आप ज्यादा ट्रैक्टर के बारे में नहीं जानते और 8 से 10 साल तक चिंता मुक्त होना चाहते हैं तो नया ट्रैक्टर ही लें और अगर आप थोड़ी भी जानकारी रखते हैं और कोई छोटी मोटी समस्या आती है और उसको अपने आप भी देख सकते हैं तो आप पुराना ट्रैक्टर(Tractor) भी ले सकते हैं. ये भी पढ़े: खेती करो या उठाओ भार,एस्कॉर्टस ट्रैक्टर रहे हमेशा तैयार

लोन(Loan) कहाँ से मिलेगा:

जैसा की सभी जानते है किसान के पास इतना पैसा नहीं होता की वो नगद पैसा से कृषि यंत्र खरीद सके तो उसको लोन(Loan) के लिए जाना ही पड़ता है. ज्यादातर किसान बिचौलियों के चक्कर में आकर प्राइवेट कर्ज ले लेते है जिसे पुराने समय में पूंजीपति के कर्ज में किसान फसता था वही आजकल ये प्राइवेट वाले कर रहे है. किसान को कर्ज देने में सरकार कई योजनाए ला रही है जैसे KCC पर लोन , आप SBI , HDFC , ICICI Bank से भी लोन(Loan) ले सकते है. कोशिश करें की आप किसी सरकारी बैंक से ही लोन लेकर ट्रैक्टर(Tractor) लें.आजकल बैंक किसान को कृषि यंत्रों पर भी कर्ज दे रही है. आप ज्यादा जानकारी के लिए निचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके पाता कर सकते हैं या आप हमारे कमेंट बॉक्स में भी पूछ सकते है हम आपकी पूरी सहायता करने की कोशिश करेंगें. SBI: https://sbi.co.in/web/agri-rural/agriculture-banking/farm-mechanization-loan/tractor-loan
आप कृपया कमेंट बॉक्स में बताएं अगली जानकारी किस बारे में चाहते है.
धान की फसल काटने के उपकरण, छोटे औजार से लेकर बड़ी मशीन तक की जानकारी

धान की फसल काटने के उपकरण, छोटे औजार से लेकर बड़ी मशीन तक की जानकारी

हमारे देश के बड़े भूभाग में धान की फसल की जाती है। पूर्वोत्तर और दक्षिण भारत में तो धान की ही मुख्य फसल होती है। धान की फसल की बुआई, रोपाई और कटाई में बहुत से श्रमिकों की आवश्यकता होती है। किसान भाइयों आज का समय पैसे कमाने का समय है। प्रत्येक व्यक्ति अपने परिश्रम का अधिक से अधिक मेहनताना लेना चाहता है। इसके लिए आज के श्रमिकों ने खेती किसानी का काम छोड़ करन परदेश जाकर कारखानों में काम करना शुरू कर दिया है। इस वजह से ग्रामीण क्षेत्रों में श्रमिकों का अभाव हो गया है। इस वजह से खेती किसानी करना बहुत मुश्किल होता जा रह है। जो श्रमिक गांवों में बचे रह गये हैं वे भी अपने अन्य भाइयों के समान औद्योगिक श्रमिकों की तरह मेहनताना मांगते हैं। इससे खेती की लागत उतनी अधिक बढ़ जाती है जितना उत्पादन नहीं हो पाता है। इसलिये किसान भाई वो काम नहीं कर पाते हैं।

धान की फसल की बुआई, रोपाई और कटाई

Content

  1. समय पर कटाई से बच जाता है नुकसान
  2. हंसिया (Sickle)
  3. ब्रश कटर (Brush Cutter)
  4. क्या होता है ब्रश कटर
  5. कम्बाइंट हार्वेस्टर (Combined Harvester Machine)
  6. क्या होती है कम्बाइंड हार्वेस्टर मशीन (Combined Harvester Machine)
  7. क्या होता है कम्बाइंड हार्वेस्टर कटर
  8. रीपर मशीन (Reaper Machine)
  9. क्या होता है रीपर मशीन
  10. हाथ से चलने वाली मशीन (हैंड रीपर)
  11. छोटे वाहन वाली मशीन (सेल्फ प्रॉपलर मशीन)
  12. ट्रैक्टर से चलने वाली मशीन (ट्रैक्टर माउंटेड)

समय पर कटाई से बच जाता है नुकसान

खेती किसानी का काम समय से होना चाहिये तभी आपको अधिक उत्पादन मिल सकता है। श्रमिकों के अभाव में किसान भाइयों की खेती प्रभावित होती है। कभी लेट बुआई होती है तो कभी निराई गुड़ाई नहीं हो पाती है। कभी सिंचाई देर से हो पाती है अथवा फसल की आवश्यकतानुसार सिंचाई नहीं हो पाती है। कीट व रोग के प्रकोप से नियंत्रण में भी असर पड़ता है। कुल मिलाकर श्रमिकों के बिना खेती पूरी तरह से प्रभावित होती है। ऐसी स्थिति में किसान भाइयों को खेती के आधुनिक तरीके और आधुनिक उपकरणों और मशीनों का इस्तेमाल करना चाहिये। इन मशीनों व उपकरणों से मानव श्रम से अधिक और बहुत ही साफ सुथरा काम हो जाता है। लागत  व समय भी कम लगता है। आइये हम आज धान की फसल को काटने वाली छोटे उपकरण से लेकर बड़ी मशीनों तक की चर्चा करेंगे। जो इस प्रकार है:-
  1. हंसिया या हंसुआ: (Sickle)

यह किसानों का पारंपरिक कटाई का औजार, उपकरण या हथियार है। इससे किसी प्रकार की फसल की कटाई की जा सकती है। धान की फसल की कटाई इसी हथियार से की जाती है। छोटे किसान आज भी अपने परिवार के साथ इसी हथियार से कटाई करते हैं। इससे फसल की कटाई में काफी समय लगता है। जब धान की फसल पक गयी हो और खेत में पानी भरा हो तब यही हथियार फसल की कटाई के काम आता है।
  1. ब्रश कटर (Brush Cutter)

हाथ से कटाई करने में बहुत श्रमिक और बहुत समय लगता है। इससे किसान भाइयों का समय व पैसा बहुत बर्बाद होता है। धान की फसल की समय पर कटाई होनी बहुत जरूरी होती है। यदि समय पर धान की फसल की कटाई नहीं की गई तो बहुुत नुकसान होता है। आज के समय में खेतों में काम करने वाले मजदूर न मिलने के कारण किसानों के समक्ष बहुत बड़ी समस्या उत्पन्न हो गयी है। ऐसे में समय पर कटाई करना किसान भाइयों के लिए टेढ़ी खीर बन गयी है। इस समस्या को आधुनिक यंत्रों व मशीनों के द्वारा हल किया जा सकता है। पहले तो व्यापारियों ने धान की फसल कटाई के लिए बड़ी बड़ी मशीनें मार्केट में उतारीं, जिन्हें किराये पर लेकर काम कराया जा सकता था। लेकिन इन मशीनों का किराया भी इतना अधिक था कि प्रत्येक किसान उसको वहन नहीं कर सकता था। इसलिये अब बाजार में छोटी मशीनें आ गयी है। इसमें एक ब्रश कटर नाम से एक ऐसी मशीन आ गयी है, जिसको किसान अकेले ही दस मजदूरों के बराबर फसल की कटाई कर सकता है।  पेट्रोल से चलने वाली यह मशीन महीनों का काम घंटों में कर देती है। ये भी पढ़े: आधुनिक तकनीक अपनाकर घाटे से बचेंगे किसान

कितना है मैनुअल व मशीन के काम व दाम में अंतर

जानकार लोगों का दावा है कि एक एकड़ की मजदूरों द्वारा खेती की धान की फसल की कटाई पर लगभग 5 हजार रुपये का खर्च आता है। लेकिन इस मशीन से मात्र 500  रुपये में एक ही व्यक्ति कटाई कर सकता है। यदि किसान भाई यह काम करने में सक्षम हो तो ठीक वरना इस मशीन को चलाने वाले बहुत से लोग आ गये हैं। इस मशीन की खास बात यह है कि इसमें फसल के अनुसार ब्लेड लगाकर अलग-अलग तरह की फसलों की कटाई की जा सकती है। यह मंशीन कंधे पर टांग कर फसल की कटाई की जा सकती है। खेत में पानी भी भरा हो तब भी किसान भाई इस मशीन से कटाई कर सकते हैं। यदि किसान भाई इस मशीन की मेंटीनेंस अच्छी तरह से करे तो यह मशीन अपनी कीमत एक साल में ही निकाल देती है। यह मशीन अधिक महंगी भी नहीं है।

क्या होता है ब्रश कटर (Brush Cutter):-

ये भी पढ़े: भूमि की तैयारी के लिए आधुनिक कृषि यन्त्र पावर हैरो छोटे किसानों के लिए यह एक ऐसी आधुनिक मशीन है, जिसके माध्यम से किसान भाई केवल धान फसल की कटाइई ही नहीं कर सकते हैं बल्कि इससे अनेक प्रकार की फसलों च चारे की कटाई आसानी से कर सकते हैं। इस मशीन से खेतों में रुका हुआ थोड़ा बहुत पानी भी निकाल सकते हैं। अब यह मशीन पेट्रोल और मोबिल आयल से चलने वाली 4 स्ट्रोक वाली मोटर से लैस मशीन है। इसमें एक हैंडल दिया गया है। हैंडल के आगे कटर लगाने के लिए स्थान दिया गया है। इसमें आप अपनी जरूरत के ब्लेड लगाकर अपनी मनचाही फसल काट सकते हैं। इसका वजन 7 से 10 किलो तक का होता है।

किसी ट्रेनिंग की आवश्यकता नहीं

इस मशीन को चलाने के लिए कोई खास ट्रेनिंग नहीं लेनी होती है। शुरू के 10 से 15 मिनट में नये व्यक्ति को परेशानी होती है। एक बार इसको चलाने का तरीका जानने के बाद इसे आसानी से चलाया जा सकता है। इतनी ट्रेनिंग मशीन बेचने वाली कंपनी के टेक्नीशियन दे देते हैं। इसके अलावा इस मशीन को किसान भाई तो चला सकते हैं और उनकी अनुपस्थिति में घर की महिलाएं भी आसानी से चला सकतीं हैं।
  1. कम्बाइंड हार्वेस्टर मशीन (Combined Harvester Machine)

धान फसल की कटाई के लिए कम्बाइंड हार्वेस्ट मशीन का उपयोग तेजी से होने लगा है। इस मशीन के माध्यम से खेत में खड़ी फसल की बालियों यानी अनाज की कटाई की जाती है और उसकी मढ़ाई और गहाई की जाती है। यह मशीन जमीन से 30 सेंटीमीटर ऊपर से फसल काटती है और खेत में ठूंठ छोड़ देती है इससे पुआल का नुकसान होता है। दूसरा समय पर खेत को खाली करने के लिए किसान भाइयों को जल्दी होती है और उस समय कोई दूसरा उपाय न सूझने के कारण खेत में पराली को जला दिया जाता है। इससे जानवरों के चारे का नुकसान होता है दूसरा पर्यावरण प्रदूषित होता है।

नुकसान के बावजूद है फायदे का सौदा

हालंकि मजदूरों की अपेक्षा आधी कीमत पर बहुत कम समय में अच्छी तरह से कटाई, मढ़ाई और गहाई हो जाती है। इसलिये किसान भाई इस मशीन का इस्तेमाल करते हैं। इस तरह की मशीन का इस्तेमाल बड़े किसान भाई करते हैं जिनके पास लम्बी चौडी खेती है और समय पर मजदूर नहीं मिल रहे हैं तो उनके पास इसी तरह की मशीन का ही एकमात्र विकल्प बचता है। लेकिन इस मशीन की इस कमी को देखते हुए अनेक तरह के आकर्षक रीपर मार्केट में आ गये हें। जिनसे जमीन से 5 सेंटी ऊपर की कटाई की जाती है। इससे किसान भाइयों के समक्ष ठूंठ व पराली वाली समस्या नहीं आती है।  चारे व अन्य काम के लिए बची पुआल भी काम में आ जाती है।

क्या होती है कम्बाइंड हार्वेस्टर मशीन (Combined Harvester Machine)

यह मशीन वास्तव में बड़े किसानों के इस्तेमाल के लिए होती है। यह मशीन महंगी होती है तथा इसको किराये पर चलाने के उद्देश्य से भी लिया जा सकता है। यह मशीन सूखे खेत में ही चलाई जा सकती है। जो किसान भाई कम्बाइंड हार्वेस्टर मशीन का इस्तेमाल करना चाहें तो प्रॉपलर या ट्रैक्टर में लगाकर इस मशीन को इस्तेमाल कर सकते हैं। इस तरह की मशीन बनाने वालों में दशमेशर, हिंद एग्रो, न्यू हिन्द, प्रीत, क्लास आदि ब्रांड के हार्वेस्टर कटर आते हैं। ये चौड़ाई के अनुसार दो फिल्टर्स आते हैं। इनकी चौड़ाई 1 से 10 व 11 से 20 फीट तक होती है। इसके अलावा आप अपनी जरूरत के हिसाब की चौड़ाई वाले फिल्टर्स का इस्तेमाल कर सकते हैं।
  1. रीपर मशीन (Reaper Machine)

यह भी ब्रश कटर से मिलती जुलती मशीन है। इस मशीन में भी कटर का इस्तेमाल होता है। इस मशीन की खास बात यह है कि यह कई साइजों में आती है। इस मशीन को किसान भाई अपनी क्षमता व जरूरत के हिसाब से लेकर इस्तेमाल कर सकते हैं अथवा किराये पर लेकर भी इस्तेमाल कर सकते हैं। यह मशीन हाथ ठेले के रूप में इस्तेमाल की जा सकती है, इसे मिनी ट्रैक्टर या छोटी गाड़ी में भी लगाकर फसल की कटाई की जा सकती है। इसको बड़े ट्रैक्टर में भी लगाकर फसल की कटाई की जा सकती है। यह मशीन धान की फसल की कटाई के लिए तो उपयुक्त है ही। साथ ही गेहूं  सहित अनेक फसलों को भी इससे काटा जा सकता है।

क्या होती है रीपर मशीन (Reaper Machine)

आधुनिक कृषि उपकरणों में इस मशीन की गिनती होती है। यह मशीन ऐसी है जिसे हर तरह का किसान अपनी क्षमता के अनुसार खरीद कर फसल की कटाई आसानी से कर सकता है। जहां पर फसल की कटाई के लिए कम्बाइंड हावेस्टर और ट्रैक्टर नहीं पहुंच पाता है वहां पर यह मशीन काम आती है। यह मशीन छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी आती है। मुख्यत: तीन प्रकार की ये मशीन होती है।
    1. हाथ से चलने वाली मशीन हैंड रीपर (Hand Reaper Machine)
    2. छोटे वाहन वाली मशीन सेल्फ प्रॉपलर मशीन (Self Propeller Machine)
    3. ट्रैक्टर से चलने वाली मशीन ट्रैक्टर माउंटेड (Tractor Mounted Machine)
  1. हाथ से चलने वाली मशीन हैंड रीपर (Hand Reaper Machine)

यह मशीन मूलत: छोटे किसानों के लिए होती है। यह एक पॉवरफुल मशीन होती है जो हाथों से एक व्यक्ति द्वारा चलाई जाती है। इसमें एक 5 हॉर्सपॉवर का इंजन लगा होता है। पेट्रोल व डीजल से चलने वाले इंजन अलग-अलग आते हैं। इसमें आगे की तरफ रीपर में ब्लेड़स लगे रहते हैं जिससे फसल की कटाई की जाती है। इसमें पीछे एक हैंडल लगा होता है और इसमें दो मजबूत रबर के टायर भी लगे होते हैं। हैंडल में दो गियर भी लगे होते हैं। किसान भाई हैंडल को पकड़ कर इस मशीन को खेतों में धकेलते जाते हैं और गियर के इस्तेमाल से फसल की कटाई होती रहती है। यदि इस मशीन को कहीं दूर ले जाना होता है तो इसको मोटर व मशीन को आसानी से अलग-अलग भी किया जा सकता है और इस्तेमाल के समय जोड़ा भी जा सकता है।
  1. छोटे वाहन वाली मशीन यानी सेल्फ प्रॉपलर मशीन (Self Propeller Machine)

जो किसान मध्यम श्रेणी में आते हैं और जिनकी खेती का रकबा थोड़ा बड़ा होता है, जो थोड़ा ज्यादा पैसा खर्च कर सकते हैं तो वे छोटे वाहन यानी सेल्फ प्रॉपलरवाली मशीनों को खरीद कर फसल की आसान कटाई कर सकते हैं। इसमें एक सीटर वाहन होता है। उसमें रीपर में ब्लेड लगे होते हैं। इस एक सीटर वाहन में किसान भाई आराम से बैठ कर रीपर के माध्यम से फसलों की कटाई आसानी से कर सकते हैं। समय, पैसा दोनों ही बचा सकते हैं। ये भी पढ़े: कल्टीवेटर से खेती के लाभ और खास बातें

रीपर बाइंडर मशीन (Reaper Binding Machine)

रीपर बाइंडिंग मशीन ऐसी मशीन होती है जो खेत में फसल की कटाई के साथ पौधों का बडल यानी पूला बना देती है। इससे किसान भाइयों को काफी सुविधा होती है।
  1. ट्रैक्टर माउंटेड मशीन (Tractor Mounted Machine)

यह मशीन बड़े किसानों के लिए होती है। यह मशीन ट्रैक्टर में लगायी जाती है। यह मशीन उन किसानों के लिए है, जिनकी बड़ी काश्तकारी है और उनके पास काम करने वाले श्रमिकों की संख्या कम होती है। ऐसे किसान अपने खेत के काम निपटा कर दूसरों के खेतों पर कटाई का व्यवसाय कर सकते हैं। इस तरह से किसान इसको किराये पर चला कर अपना व्यवसाय भी कर सकते हैं।